एक आदिवासी बेटी की कहानी, जो चलाती है हाई स्पीड वन्दे भारत ट्रैन
जिंदगी की राह भला कहां सरपट होती हैं, इसके रास्तों में तो तमाम अड़चने और मुश्किलों का लंबा सफर है. लेकिन, कुछ लोग तमाम दिक्क़तों के बीच भी अपना रास्ता सुगम बना लेते हैं और एक मुकाम हासिल कर नजीर बन जाते हैं और एक रौशनी बिखरेते हैं. जिसके उजाले के जरिए औरों का भी सफर आसान बनता हैं.
झारखण्ड की एक बेटी कुछ ऐसा ही कर रही हैं, जो भारत की सबसे आधुनिक ट्रैन वन्दे भारत को पटारियों पर तेजी से दौड़ा रही है. इस लड़की का नाम रितिका तिर्की है, जो टाटानगर से पटना तक चलने वाली वन्दे भारत ट्रैन की सहायक लोको पायलेट है.
अपनी इस कामयाबी से रितिका काफ़ी ख़ुश है, लेकिन ये सफ़र उनके लिए आसान नहीं था, बल्कि इस कामयाबी को हासिल करने के लिए कठोर मेहनत और एक जुनून पाला था. जिसके जरिए उसे अपनी मंजिल मिली.
बेहद साधारण आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखने वाली रितिका झारखण्ड के प्रसिद्ध बीआईटी मेसरा से मैकेनिकल इंजीनियरग की बीटेक डिग्री ली और 2019 में भारतीय रेलवे में नौकरी ज्वाइन किया . उनकी पहली पोस्टिंग झारखण्ड के चंद्रपुरा और बोकारो में हुई .इस दरमियान वह मालगाड़ी और पेसेंजर ट्रैन चलाती थी. इसके बाद उनकी शादी बहरागोड़ा जमशेदपुर में हुई. साल 2021 में रितिका का तबादला टाटानगर में हो गया और साल 2024 में सहायक लोको पायलेट से पदोन्नति देते हुए सीनियर असिस्टेंट लोको पायलेट बना दिया गया.
इस कामयाबी के बाद भी रितिका के कदम रुके नहीं हैं, बल्कि लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रही हैं.ताकि अपने करियर में एक और मुकाम हासिल किया जा सके.
रितिका की इस सफलता को देखकर बिलकुल कहा जा सकता हैं कि अगर एक चट्टान सरीखा संकल्प, कुछ कर गुजरने का जज़्बा और हार न मानने की फितरत हो तो दुनिया की कोई ताकत और मुश्किले मंजिल हासिल करने में रोड़ा नहीं बन सकती.
एक बात ये भी साफ है कि एक इंसान अगर चाह ले तो अपना मुक्कदर खुद गढ़ और बना सकता है.
You Speak की टीम की तरफ से आदिवासी समाज से आने वाली रितिका को उनके सुनहरे भविष्य के लिए बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनायें.