‘दिल को छूने वाली, श्रुति मोरे की कहानी’
 ‘दिल को छूने वाली, श्रुति मोरे की कहानी’

 ‘दिल को छूने वाली, श्रुति मोरे की कहानी’

श्रुति मोरे ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन अपने घर से कोसों दूर पहाड़ों में बस कर वह ऐसा काम करेंगी कि लोगों के दिलों को जीत लेगी । मुंबई की रहने वाली श्रुति ने अपनी पढाई Bachelor in Occupational therapy  मुंबई के Seth G.S Medical College and KEM Hospital, Mumbai से की और इसके बाद उनका इरादा था विदेश में जाकर आगे की शिक्षा हासिल करना । उस वक्त उन्हें खुद नहीं मालूम था कि पहाड़ों का एक छोटा सा सफ़र हमेशा के लिए उनका जीवन बदलने वाला था।

2011 में वह एक साइकिल एक्सपीडिशन के लिए हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में आई थीं । उस एक्सपेडिशन के दौरान श्रुति की मुलाकात सोनाली नाम की एक तेरह साल की लड़की से हुई। सोनाली  सेरेब्रल पाल्सी की मरीज थी। लड़की अपने पीरियड्स पर थी और उसे परिवार द्वारा घर से अलग रखा गया था, जो नहीं जानते थे कि अपने दिव्यांग बच्चे को कैसे संभालना है। श्रुति उस सफ़र के बाद वापिस मुंबई तो चली गयी पर उनका दिमाग अभी भी सोनाली के बारे में सोचे जा रहा था ।

आखिरकार श्रुति ने अपने दिल की सुनी और कुछ ही महीनों में,  वह फिर कुल्लू चली गईं और एक Occupational therapist के रूप में हंडीमाचल नाम की संस्था में शामिल हो गईं ताकि सोनाली जैसे और भी बच्चों की मदद कर । इस संस्था में अपने कार्यकाल के दौरान, श्रुति ने अमेरिकन एकेडमी ऑफ सेरेब्रल पाल्सी और डेवलपमेंटल मेडिसिन वार्षिक बैठकों जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलनों में अपना काम प्रस्तुत किया और स्वीडिश संस्थान द्वारा यंग कनेक्टर्स ऑफ फ्यूचर की प्रतिष्ठित फैलोशिप प्राप्त की। श्रुति को कुल्लू जिले में सामाजिक क्षेत्र में अनुकरणीय सेवाओं के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार भी मिला है।

कुछ सालों बाद उन्होंने अपनी संस्था ‘सम्फिया फाउंडेशन’ की स्थापना की । यह संस्था दिव्यांग बच्चों के इलाज और उनकी क्षमता बढ़ाने का काम कर रही है । उनकी संस्था ने भारत का पहला थैरेपी ऑन व्हील प्रोजेक्ट शुरू किया है । इस प्रोजेक्ट के तहत दूरदराज के गांवों में एक एम्बुलेंस वैन में थैरेपी दी जाती है । इसके अलावा उनकी संस्था के द्वारा कई अवेयरनेस कैंप लगाए जाते हैं, जहां स्कूल और कॉलेज के बच्चों के माध्यम से समाज की सोच बदलने का प्रयास किया जा रहा है।