गद्दी समुदाय के जीवन और संस्कृति के गीत गाती ‘स्वाति भारद्वाज’
गद्दी समुदाय के जीवन और संस्कृति के गीत गाती ‘स्वाति भारद्वाज’

गद्दी समुदाय के जीवन और संस्कृति के गीत गाती ‘स्वाति भारद्वाज’

स्वाति भारद्वाज हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की रहने वाली हैं। वह गद्दी समुदाय से ताल्लुक़ रखती हैं। उनके गीत गद्दी समुदाय के जीवन और संस्कृति को झलकाते हैं । वह कहती हैं, “अक्सर लोगों को काम की तलाश में अपने घरों से दूर जाना पड़ता है और परिवार के लोग अक्सर उनकी वापसी की राह ताकते रहते है” । उनके हाल ही में रिलीज हुए गाने “मेरा ढोला गया परदेश” के बोल देखिये:
“मेरा ढोला गया परदेश तीजो बाजी कियाँ जीना .
(मेरा पति घर से दूर चला गया है , उसके बिना अब मैं कैसे जी पाऊँगी )
इस गीत में एक महिला अपने प्रियतम के परदेश जाने पर अपने मन की भावनाओं को व्यक्त करती है। इस गाने में विरह और प्रेम की गहरी भावनाओं को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है। गाने की धुन और स्वाति भारद्वाज की आवाज़ इसे और भी भावपूर्ण बनाते है। यह गाना उन लोगों के दिलों को छूता है जो अपने प्रियजनों से दूर हैं और उनके लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
इससे पहले आए उनके गीत ‘पालनुया’ ने भी लोगों के दिलों पर राज किया था ।

स्वाति की शुरुआती पढ़ाई अपने गाँव से हुई और बाद मे उच्च शिक्षा के लिए वह पंजाब चली गयी । वह बताती हैं कि गायन में उनकी रुचि बचपन से ही थी और जब भी स्कूल और पड़ोस में उनको गाने का मौका मिलता, वह जरूर गाती । बाद में वह अपनी पढ़ाई में व्यस्त होने के कारण संगीत पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पायी । साथ ही उनमें आत्मविश्वास की कमी थी, इसलिए उन्होने खुल कर कभी अपने अंदर के गायक को बाहर आने का मौका नहीं दिया । बाद में जैसे-जैसे लोगों ने उनकी आवाज़ को सराहा उन्होंने फिर से विभिन्न मंचो पर गाना शुरू किया ।
वर्तमान में वह विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में व्यस्त है और साथ ही गीत-संगीत की दुनिया में भी अपना नाम कमाने की कोशिश कर रही है । उनका यूट्यूब चैनल है “स्वाति भारद्वाज ऑफिशल” जहां आप उनके गीतों को सुन सकते हैं ।

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