ज़िंदगी तो एक क़रवां है, एक सफ़र और एक फलसफ़ा है. बस चलते जाना है उस आखिरी सांस तक जब तक इस शरीर में जान है. जीना भी भला बिना मकसद के क्या जीना हैं. जब कोई न मंजिल और कोई न ठिकाना हो.
समय तो बलवान होता, जिसने इसे साधकर आगे निकला, दुनिया सलाम करती हैं. लेकिन कुछ विरले लोग भी होते हैं जो वक़्त और उम्र के मोहताज नहीं होते, बल्कि अपने सपने साकार करने के लिए जी जान लगा देते हैं, जबतक उनके देह में जान और सांस हैं.
ऐसे ही एक किस्सा और सफ़र ओड़िशा के रहने वाले 64 साल के जय किशोर प्रधान का हैं. जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद नीट की परीक्षा पास की और एक मिसाल बनकर उभरे. जो एक प्रेरणा और नसीहत बाँटती हैं कि कामयाबी की कोई उम्र नहीं होती. बस दिल में अपने सपनों के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना और तबीयत से एक कोशिश होनी चाहिए.
जय किशोर ने 40 साल तक SBI बैंक में डिप्टी मैनेजर के पद पर नौकरी की और इसके बाद फिर डॉक्टर बनने की ठानी, जब उनकी जुड़वाँ बेटियां नीट परीक्षा की तैयारी कर रही थीं. तब ही अपने सपनों को भी यानि डॉक्टर बनने की हसरत पूरी की.
दरअसल, इंटरमीडिएट पास करने के बाद उन्होंने NEET की परीक्षा दी, लेकिन फेल कर गए. बाद में परिवार के बोझ के चलते अपने सपनों को पीछे छोड़ दिया और बैंक में जॉब करने लगे.
हालांकि, उनकी दबी हसरत एकबार फिर जग गई, जब उनकी जुड़वाँ बेटियां NEET की तैयारी कर रही थीं. लेकिन, उम्र इस इम्तिहान के लिए बाधक बन रही थीं. उनके इस रोड़े को इस बाधा को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने हटा दिया. जिसमे NEET की परीक्षा के लिए उम्र के मानदंड को ख़त्म कर दिया.
इसके बाद जय किशोर ने घर में ही ऑनलाइन कोचिंग के जरिए परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और 2020 में परीक्षा पास कर गए. उन्होंने ओड़िशा के वीर सुरेंद्र साई इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साईसेज एंड रिसर्च में अपनी MBBS की पढ़ाई शुरू कर दी और डॉक्टर बन गए.
जय किशोर प्रधान की इस सफलता उन लोगों के लिए एक राह बनाती हैं. जिनके मन में एक हिचक और बाधा उनके सपने को साकार करने से रोकती हैं.
उनकी ये कामयाबी बताती हैं की जिंदगी में देर कुछ भी नहीं होती. आप जब जागे तब ही सवेरा है.