गुलशन वर्मा से एक मुलाक़ात, जिसने खड़ा कर दिया करोड़ों का कोचिंग कारोबार
गुलशन वर्मा से एक मुलाक़ात, जिसने खड़ा कर दिया करोड़ों का कोचिंग कारोबार

गुलशन वर्मा से एक मुलाक़ात, जिसने खड़ा कर दिया करोड़ों का कोचिंग कारोबार

  ‘एक मुलाक़ात’ में हमारा उद्देश्य है, देश भर से सार्थक और प्रेरणादायक कहानियाँ लाना है । इस कड़ी में हमने इस बार  मुलाक़ात की गुलशन वर्मा से जो एक शिक्षाविद् हैं और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में इविंग्ज़ अकादमी के निदेशक हैं ।

अपने बचपन और शुरुआती शिक्षा के बारे में कुछ बताइये ?

मेरा जन्म गोवा में हुआ था और मैं समय से पहले पैदा हुआ था इसलिए डॉक्टरों ने मेरे माता-पिता से कहा कि यह निश्चित नहीं है कि मैं जीवित रहूँगा या नहीं । मैं अठारह  दिनों तक अस्पताल में रहा। मेरे पिता नौसेना में थे। मैंने अपनी स्कूली शिक्षा केवी नंबर दो कोलाबा, मुंबई से की, जो भारत का पहला मॉडल स्कूल है। कॉलेज की पढाई मैंने पीजी कॉलेज सोलन  से की । हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से मैंने उच्च शिक्षा प्राप्त की, जहाँ मैंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स किया।

अपने करियर में आगे बढ़ाने के लिए आपको किन चीजों से प्रेरणा मिली?

हम तीन भाई-बहन थे और आय के स्रोत सीमित थे क्योंकि मेरे पिता नेवी में निचले पद पर थे और वेतन बहुत कम था। मैं सबसे बड़ा पुत्र था इसलिए मेरी पहली प्राथमिकता पैसा कमाना थी और जीवन के शुरुआती चरण में मैंने करियर के बारे में नहीं सोचा । बाद में मुझे जीवन में अच्छे बॉस मिले, जिनसे मैंने बहुत कुछ सीखा और उन्होंने मुझे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने और दृष्टि स्थापित करने में मदद की । इसलिए मुझे लगता है कि आपका विकास आपके आस-पास के लोगों द्वारा निर्धारित होता है ।

आपके जीवन में सबसे बड़ी चुनौतियाँ क्या थीं?

बचपन से मेरा शारीरिक स्वास्थ्य ठीक नहीं था। जब मैं दूसरी कक्षा में था, तब मैं एक दुर्घटना में जल गया था और मैं कई  महीने तक अस्पताल में रहा था । बाद में मुझे अपने जीवन के पंद्रह वर्षों तक मिर्गी के दौरे पड़ते रहे । मैं लगातार दवाइयाँ खाता था, इसलिए हर दिन गुज़ारना बहुत मुश्किल था । पैसे के मामले में सीमित संसाधन थे क्योंकि पिता की आय बहुत कम थी,इसलिए परिवार की आर्थिक हालात ठीक नहीं थी । मैं बहुत शर्मीला बच्चा था और बात करने में झिझकता था । इसलिए दूसरों से बातचीत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था ।

आप अपनी सबसे बड़ी पेशेवर उपलब्धि क्या मानते हैं?

मैं अपने करियर को तीन चरणों में विभाजित कर सकता हूँ:

  • पहला चरण जब मुझे अपने करियर के पहले दो वर्षों में अपने जीवन यापन के लिए संघर्ष करना पड़ा क्योंकि मेरी तनख्वाह सात हज़ार रुपये थी और मुझे इस तनख्वाह में दिल्ली में सब कुछ मैनेज करना था ।
  • इसके बाद मैं अठाईस साल की उम्र में वेबर्स एडुकॉम लिमिटेड का सीईओ बन गया ।
  • फिर 2017 में मैंने अपना खुद का कोचिंग व्यवसाय शुरू किया मेरे लिए यह बदलाव अपने आप में एक उपलब्धि है क्योंकि शुरू में मैं केवल अपनी नौकरी के बारे में सोचता था, लेकिन अब मैं और लोगों के लिए भी सोच पाता हूँ । अब तक मेरी अकादमी से छह हज़ार  से अधिक छात्रों को सेवाएँ मिल चुकी हैं। मेरे पास बीस लोगों का स्टाफ है। इन सब लोगों के बारे में सोचना और इनके लिए काम करना मुझे काफी संतुष्टि देता है ।

आप वर्तमान में किस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं?

वर्तमान में EWINGZ अकादमी हिमाचल की नंबर वन अकादमी हैं। हम NEET, NDA, CDS, बैंकिंग, सरकारी नौकरी, सिविल सेवा जैसी सभी प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं की कक्षाएँ चला रहे हैं ।

आपके जीवन में किन लोगों को अपना आदर्श या गुरु मानते हैं?

मैं श्री नवीन और नताशा चोपड़ा को अपना आदर्श, मानता हूँ ।  मैंने उनके साथ आठ साल तक काम किया और उनसे बहुत कुछ सीखा ।

आज शिक्षा के सामने सबसे बड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?

मेरे विचार में कौशल के मामले में नौकरी में जो कौशल चाहिए होते हैं और जो स्कूल में हमें सिखाया जाता है, उसके बीच बहुत बड़ा अंतर है । साथ ही मूल्यों का ह्रास और छात्रों और शिक्षकों के बीच बदलते रिश्ते भी आज की शिक्षा की बहुत बड़ी चिंता है। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में शिक्षण की गुणवत्ता में गिरावट आई है और साथ ही शिक्षा बहुत महंगी हो गई है। बच्चों पर नंबर लाने का बहुत अधिक दबाव है और हर कोई प्रतिस्पर्धा की दौड़ में है ।

आप अपने खाली समय में क्या करना पसंद करते हैं?

मुझे क्रिकेट खेलना पसंद है, हालांकि मुझे क्रिकेट खेले काफी समय हो गया है क्योंकि काम हर चीज पर हावी है। मैं  सिनेमा भी देखता हूं क्योंकि इससे मेरा दिमाग तरोताजा हो जाता है ।

क्या अपने जीवन का सबसे यादगार किसे मानते हैं ?

जब मेरा बेटा पैदा हुआ तब मैं बेहद खुश था ।

ऐसा कौन सा शौक या रुचि है जिसके बारे में जानने वाले लोग आश्चर्यचकित हो सकते हैं?

मुझे फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन में बहुत दिलचस्पी है और मैं हमेशा इसकी तलाश में रहता हूं ।

आपने अब तक कौन सी सबसे दिलचस्प जगह देखी है?

काठमांडू में पशुपति नाथ मंदिर वह स्थान है जहां मैं बार-बार जाना पसंद करूंगा ।

आपके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में कैसे संतुलन बना हुआ है?

मैं नारायण मूर्ति के इस कथन से सहमत हूँ कि जीवन के पहले पचास वर्ष पेशेवर जीवन के हैं जबकि जीवन के अगले पचास वर्ष पूरी तरह से मेरे व्यक्तिगत जीवन के होंगे ।

वह कौन सा दर्शन या सिद्धांत है जो आपको आपके कार्य और जीवन में मार्गदर्शन देता है?

मेरा दर्शन यह है कि लोगों को इसकी परवाह नहीं है कि आप कितना जानते हैं। लोग जानना चाहते हैं कि आप कितना ख्याल रखते हैं। लोगों का प्रबंधन ही सफलता की कुंजी है ।

आप आलोचना और असफलताओं का सामना कैसे करते हैं?

करियर के शुरुआती चरण में मुझे आलोचना और विरोध झेलना काफी मुश्किल लगता था, लेकिन अब मैं आलोचना और असफलता को आसानी से स्वीकार कर लेता हूं क्योंकि मैं जानता हूँ कि इन चीजों का मेरे विकास में योगदान है ।

यदि आप तीन लोगों के साथ डिनर करना चाहते हैं, जीवित या मृत, तो वे कौन होंगे और क्यों?

रोचक सवाल है। पहले होंगे महात्मा गांधी जिनसे मैं यह समझना चाहूँगा कि आज की दुनिया में सत्य और अहिंसा को कैसे लागू किया जाए । दूसरे सचिन तेंदुलकर, जिनसे मैं ये पूछूंगा कि बल्लेबाजी करते समय उन्होंने लाखों लोगों का दबाव कैसे झेला।  तीसरे रत्न टाटा, यह समझने के लिए कि कैसे बड़ा दिल रखें और एक बेहतर व्यवसायी और परोपकारी कैसे बनें ।

भविष्य की योजना के लिए अगले कुछ वर्षों में आपका लक्ष्य क्या है?

मैं जो कर रहा हूं उसे जारी रखना चाहता हूं, बिना ज्यादा विस्तार के । जो कर रहा हूं उसे कायम रखना चाहता हूं । मैं अपने परिवार के साथ विश्व भ्रमण करना चाहता हूं ।

आप इतनी मेहनत करते हैं, थोड़ा बताएं आप कैसे प्रेरित और उत्सुक रहते हैं?

मुझे लोगों को आगे बढ़ते और उपलब्धि हासिल करते देखना अच्छा लगता है । जब बेरोजगारों को नौकरी मिलती है तो मुझे बहुत खुशी होती है। जब कोई सफलता का स्वाद चखता है तो मुझे बेहद संतुष्टि महसूस होती है । ये सब मुझे अधिक से अधिक मेहनत करने की प्रेरणा देता हैं ।

आपके छात्रों और अन्य लोगों के लिए आपकी ओर से कोई सलाह या  सुझाव।

मुझे लगता है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है इसलिए कड़ी मेहनत करें । साथ ही, जीवन को बहुत गंभीरता से न लें। खुश रहें और अपनी पूरी कोशिश करते रहें ।